चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के लिए वित्तीय संकट गले की हड्डी बन गया है। सरकार की आस अब जीएसटी पर टिकी है, लेकिन जो हालात हैं उसमें सिर्फ जीएसटी के सहारे नैया पार नहीं लगने वाली है। ऐसे में पंजाब सरकार ने जीएसटी के दायरे से बाहर जाकर नए टैक्स लगाने की रूपरेखा तय कर रही है।
बीते दिनों, दिल्ली में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विभिन्न विभागों के प्रमुखों के साथ बैठक कर नए टैक्स लगाने को लेकर अंतिम योजना तैयार करने को क्लीन चिट दे दी है। नए टैक्स के दायरे में डाक्टरों, वकीलों, सीए सहित अन्य प्रोफेशनल्स को लाने की कवायद की जा रही है। सरकार के सामने चुनौती यह है कि जीएसटी के दायरे में जो प्रोफेशनल्स हैं, उन पर कोई और टैक्स किस तरह से लगाया जाए। सरकार वाहनों के रजिस्ट्रेशन शुल्क व लाटरी पर टैक्स को भी बढ़ा सकती है।
सलाहकारों के वेतन में बढ़ोत्तरी ने दिया मुद्दा
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सलाहकारों के वेतन में की गई बढ़ोत्तरी ने विपक्ष को सरकार पर हल्ला बोलने का मौका दे दिया है। एक तरफ सूबे में वित्तीय संकट है तो दूसरी तरफ सलाहकारों का वेतन 1.25 लाख से 1.50 लाख रुपये करने के बाद नए टैक्स लगाने को लेकर विपक्ष सीधे-सीधे सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रधान भगवंत मान व उप प्रधान अमन अरोड़ा कहते हैं कि लोगों की जेब काटकर सलाहकारों का वेतन बढ़ाने का कोई मतलब नहीं हैं। नेता प्रतिपक्ष सुखपाल खैहरा कहते हैं जब सरकार चला ही बाबू रहे हैं तो जो वे चाहेंगे करेंगे। भाजपा के प्रदेश सचिव विनीत जोशी कहते हैं कि अकाली-भाजपा सरकार ने कभी भी लोगों पर बोझ नहीं डाला है। कांग्रेस सरकार तो अपने करीबियों को लाभ पहुंचाने के लिए सूबे को लूटने में जुट गई है।
विपक्ष ने घेरने की तैयारी शुरू की
विपक्ष ने घेरने की तैयारी शुरू की
विपक्ष ने नए टैक्स लगाने से पहले ही सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। आम आदमी पार्टी आंदोलन की धमकी दी है। भारतीय जनता पार्टी ने भी सरकार को चेतावनी दी है कि नए टैक्स की मार पंजाब को बर्दाश्त नहीं होगी। अकाली दल भी इस मुद्दे पर सरकार को कठघरे में खड़ा करने की रणनीति बनाने में जुट गया है।
Source:-Jagran
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